Bihar Board Matric Inter Grace marks Kitna Milta: – बिहार बोर्ड की परीक्षा के परिणामों को लेकर अक्सर कई अफवाहें और खबरें सामने आती रहती हैं। कई बार यह सुना गया है कि छात्रों को बंपर नंबर मिलते हैं, जैसे 250 पर 300, 300 पर 350, या फिर 400 पर 450 नंबर मिल जाते हैं। क्या ये खबरें सच हैं? क्या बिहार बोर्ड की परीक्षा में नंबर बढ़ाए जाते हैं? इस लेख में हम ग्रेस मार्क्स और बिहार बोर्ड की परीक्षा प्रक्रिया को समझेंगे।
Bihar Board Matric Inter ग्रेस मार्क्स क्या है?
ग्रेस मार्क्स, या बोनस नंबर, बिहार बोर्ड की परीक्षा में एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके तहत छात्रों को उनके परिणाम को सुधारने के लिए कुछ अतिरिक्त अंक दिए जाते हैं। यह अंक छात्रों को तब दिए जाते हैं जब वे पासिंग मार्क्स से थोड़े कम होते हैं या यदि वे डिवीजन पाने से चूक जाते हैं। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि ग्रेस मार्क्स का वितरण केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में ही होता है।
बिहार बोर्ड कब मिलता है ग्रेस मार्क्स?
ग्रेस मार्क्स बच्चों को हर साल मिलता है, लेकिन यह कब और कितने नंबर मिलेंगे, यह पूरी तरह से बिहार बोर्ड की नीति पर निर्भर करता है।
पहली स्थिति: डिवीजन में सुधार
अगर कोई छात्र एक या दो नंबर से डिवीजन से चूक जाता है, तो उसे ग्रेस मार्क्स मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर किसी छात्र के पास 299 अंक हैं, और उसे एक अंक और मिल जाए तो वह फर्स्ट डिवीजन पास कर सकता है। इसी प्रकार, अगर किसी छात्र के पास 299 अंक हैं और उसे एक अंक मिल जाए, तो वह थर्ड से सेकंड डिवीजन में आ सकता है।
दूसरी स्थिति: पासिंग मार्क्स से कम अंक
इंटर परीक्षा में छात्रों को 33% अंक लाने होते हैं, जिसमें 21 अंक थ्योरी और 12 अंक प्रैक्टिकल से लाने होते हैं। अगर कोई छात्र थ्योरी में 21 अंक लाता है, लेकिन प्रैक्टिकल में 12 अंक नहीं ला पाता, तो उसे ग्रेस मार्क्स नहीं मिलता। हालांकि, अगर वह 33% से थोड़ा कम अंक लाता है, तो उसे ग्रेस नंबर मिल सकते हैं।
बिहार बोर्ड ग्रेस मार्क्स की प्रक्रिया क्या है?
ग्रेस मार्क्स का वितरण कॉपी चेकिंग के समय नहीं होता है। यह रिजल्ट तैयार करते समय होता है। ओएमआर शीट के अंक और कॉपी चेकिंग के अंक मिलने के बाद, बिहार बोर्ड के अधिकारी इसे कुल मिलाकर टोटल करते हैं। तब यह तय होता है कि छात्र पास हो रहा है या नहीं। यदि कोई छात्र पास होने से एक-दो अंक से चूकता है, तो उसे ग्रेस नंबर दिए जा सकते हैं।
क्या 250 पर 300 या 300 पर 350 नंबर मिलते हैं?
जो खबरें सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर वायरल होती हैं, जिसमें कहा जाता है कि 250 अंक लाने पर 300, 300 पर 350 और 400 पर 450 अंक मिलते हैं, ये केवल अफवाहें हैं। ऐसा कुछ नहीं होता। यह भ्रम फैलाया जाता है, लेकिन असल में ग्रेस मार्क्स का वितरण केवल रिजल्ट तैयार करते समय और विशेष परिस्थितियों में ही होता है।
ग्रेस मार्क्स का वितरण बिहार बोर्ड के अधिकारियों के हाथ में होता है
ग्रेस मार्क्स को लेकर अंतिम फैसला बिहार बोर्ड के अधिकारियों द्वारा किया जाता है। यह निर्णय छात्रों के परीक्षाफल के आधार पर लिया जाता है। कुछ मामलों में, छात्रों को ग्रेस नंबर मिल सकते हैं, जबकि कुछ को नहीं मिलते। इस बारे में पूरी तरह से निर्णय बोर्ड के अधिकारी करते हैं, न कि शिक्षक।
निष्कर्ष
इस बार भी ग्रेस मार्क्स मिलेगा, लेकिन यह निर्भर करेगा कि छात्रों के अंक किस स्थिति में हैं। प्रैक्टिकल में ग्रेस नंबर नहीं मिलते हैं, इसलिए अगर प्रैक्टिकल में किसी छात्र का परिणाम कमजोर है, तो उसे अगले साल पुनः परीक्षा देनी पड़ सकती है।
अंततः, अगर कोई छात्र थ्योरी में अच्छे अंक प्राप्त करता है और प्रैक्टिकल में वह पास नहीं होता है, तो उसे अगले साल पुनः परीक्षा देने का मौका मिलेगा। इस बारे में पूरी जानकारी बिहार बोर्ड के अधिकारिक नोटिफिकेशन में दी जाती है।
आशा है कि यह लेख आपके लिए जानकारीपूर्ण रहा होगा। अगर आपको और कोई जानकारी चाहिए, तो आप हमसे संपर्क कर सकते हैं।